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दीर्घायु हों / नंद चतुर्वेदी

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अकाल और भूख के मारे लोग
दीर्घायु हों
सुख के एक-एक सपने के लिए तरसते
ललचाते भाई-बहन
दीर्घायु हों

आश्वासन के आनन्ददायी भाषण देने वाले
वक्तागण
दीर्घायु हों

सूखी बंजर जमीन पर
ऋतुओं के रसीले गीत गाने वाले
कविजन
दीर्घायु हों

दतरों के बाबुओं की
मैले और पैने दाँत वाली हँसी
सहने वाले
जूते रगड़ते बेकार युवक
दीर्घायु हों

कैरोसीन के इंतजार में
खाली डिब्बे पीटते
क्यू में खड़े पैन्शनर दीर्घायु हों

हर विपत्ति में
हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले
निठल्ले भक्त-जन
दीर्घायु हों

कामसूत्र की रसीली बातों से
किशोरियों के मन जीतने वाले
साधुजन
दीर्घायु हों

दीर्घायु हों
आँकड़ों के खंख वृक्ष पर
लटकते बुद्धिजीवी
दीर्घायु हों

दीर्घायु हों
दुर्घटना में मरी पत्नियों का
मुआवजा माँगने वाले
विधुर
दीर्घायु हों

दीर्घायु हों
हमारी कंगाली पर राजनीति करने वाले
देशभक्त
दीर्घायु हों

दीर्घायु हों
हर अवसर पर
हमारी दीनता के लिए
शुभकामनाएँ देने वाले
बातूनी पोपले मुँह वाले
मृदुभाषी राजनेता
दीर्घायु हों।