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दीवार / मनजीत टिवाणा / हरप्रीत कौर
Kavita Kosh से
वह बड़ी देर से
मेरे और अपने बीच की दीवार
तोड़ने की सोच रहा था
मैं हमेशा दीवार तोड़ने की जगह
उछलकर उस तक पहुँचने की सोचती रही
एक दिन दीवार गिर गई
जब हम दोनों दीवार के साथ कान लगाए
एक-दूसरे को सुन रहे थे
दीवार गिर गई
मैं दीवार तो पार कर सकती थी
पर अब
मलबे के ढेर को पार करना मुश्किल हो गया है ।
पंजाबी से अनुवाद : हरप्रीत कौर