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दीवाळी रै दिन / निशान्त
Kavita Kosh से
भारतीय जन-मानस नै
दुःःख-दाळद स्यूं
बा‘र निकळन री
कोसिस करतां
देखणो होवै तो
देखै कोई
दिवाळी रै दिन
पटाकां-मिठाइयां री
दुकानां रो तो
कैणों ही के
सब्जीआळी दुकानां तक
देखीजै
भीड़ ।