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दुःखी भले इन्सान रहेंगे / हरि फ़ैज़ाबादी
Kavita Kosh से
दुःखी भले इन्सान रहेंगे
जब तक बेईमान रहेंगे
घबराओ मत एक रात ही
बस घर में मेहमान रहेंगे
गाँवों में यूँ नगर बसे तो
कहाँ पेड़-मैदान रहेंगे
थम जायेंगे मगर हमेशा
चर्चा में तूफ़ान रहेंगे
सफ़र रहेगा आसां जब तक
दिल में कुछ अरमान रहेंगे