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दुःख की तासीर / महेश चंद्र पुनेठा
Kavita Kosh से
पिछले दो-तीन दिन से
बेटा नहीं कर रहा सीधे मुँह बात
मुझे बहुत याद आ रहे हैं
अपने माता-पिता
और उनका दुःख
देखो ना! कितने साल लग गए मुझे
उस दुःख की तासीर समझने में ।