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दुःख के चीठी सती साँमैर पढ़ैय / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दुःख के चीठी सती साँमैर पढ़ैय
जखनी चीठी साँमेरवती पढ़ै छै
हाथ बढ़नियाँ अंगनामे फेकलऽ
करै छै करूणमा कोहबर के घरमे हय।।
हौ जखनी करूणमा दुलहिनियाँ करै
लछ लछ गारि दुलहिनियाँ दै छै
सुनिलय गै मइया दुर्गा
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
तोरा अछैते स्वामी बन्हेलै
केना के परनमा हमरा स्वामी जी के बचतै गै।
चीठी उठा के हौ नारायण
साँमैर फलका जाइये
हौ फलका ऊपर के रास्ता धेलकै
घड़ी चलैय पहर बीतैय
पले घड़ी अधपेरिया बीतैय
फलका ऊपर साँमैर जखनी गयलै
मन से कलेजा सती साँमैर के कँपैय
हाय नारायण हाय विधाता
जहिया से एलीयै हौ राज महिसौथा
कहियो नै कोहबर से बाहर भेलीयै
की मोतीराम बौआ कहतै
केना जयबै फलका ऊपरमे
आ केना के जयबै हम फलका ऊपरमे यौ।।