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दुःख / हरीश करमचंदाणी
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दुःख आदमी को तोड़ता हैं
दुःख पहचान कराता दोस्त दुश्मन की
दुःख गढ़ता परिभाषा सुख की
दुःख बनाता आदमी को आदमी