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दुअरे अवइते समधी लवँग गमल हे / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दुअरे अवइते<ref>आते ही</ref> समधी लवँग गमल<ref>मँहका</ref> हे।
मड़वा अबइते कपुसार<ref>उत्कृष्ट कोटि का एक सुगंधित चावल</ref> हे।
धन धन रसोइया तोरा कवन साही।
समधी अइले जेवनार हे॥1॥
दुअरे अवइते समधी लवँग गमकल हे।
मड़वा अवइते कपुसार हे।
धन धन रसोइया तोरा कवन साही।
समधी अइले जेवनार हे॥2॥
शब्दार्थ
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