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दुआ के बदले में लोगों की बद दुआ लेकर / अनिरुद्ध सिन्हा
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दुआ के बदले में लोगों की बद दुआ लेकर
निकल पड़े हैं सफ़र में न जाने क्या लेकर
सवाल ये है कि मिलने के बाद भी देखो
सिसक रहे हैं वो यादों का सिलसिला लेकर
किसी भी घर में मुहब्बत हमें नहीं मिलती
भटक रहे हैं अदावत का फासला लेकर
वफ़ा खुसूस मुहब्बत ये खो गए हैं कहाँ
तलाश आज भी करते हैं हम दिया लेकर
कि जिसकाचेहरा मुकम्मल न हो सका अबतक
मेरी तलाश में निकला है आइना लेकर