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दुइ टूक बात / पढ़ीस
Kavita Kosh से
चहयि होटल मा जलपानु करउ की-
अॅचारू विचारू की पोथी पढ़उ
व्यभिचारी रहउ सदाचारी बनउ चहयि-
साँच्यन ग्वाड़न मूड़ चढ़उ।
चाहे राजा भलयि, रय्यति हे चहयि-
जायि जहाजन म्याड़ चढ़उ।
मुलउ द्यास<ref>द्यास, देश</ref> जवार<ref>आस-पास का क्षेत्र विशेष</ref> की बातन मा-
घर ते तुम दादा न पाछे कढ़उ।
तुम हॉथन ग्वाड़न ते मजबूत यी-
चारि पनेथी कि बासी करउ।
को सगा हयि सही सउत्यालि हयि-
तो तनि भाई भले पहिंचानउ तउ।
किहि की अमरउती रही जग मा चहयि-
आजु जरउ चहयि काल्हि मरउ।
कटि जाउ न द्यास की बातन मा तउ-
अकारथ का युहु जामा धरउ।
शब्दार्थ
<references/>