भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुइ मिलि गेलिऐ हे द्योरे / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दुइ मिलि गेलिऐ हे द्योरे
एसगर एलिऐ रे की
आरे स्वामीनाथ कहमा नराओल रे की
तोहरो के स्वामी हे भौजी बड़ रंग-रसिया
आरे बिजुवन खेलै छऽ शिकारहि रे की
कहमा मारलहुँ हे द्योरे, कहमा नराओल
कओने बिरछी ओठङाओल रे की
बाटहि मारलहुँ हे भौजी, बाटे नराओल
आरे कदम बिरिछ ओठङाओल रे की
एक कोस गेलै गोरी, दुई कोस गेलै
आरे तेसरहि स्वामीनाथ भेटल रे की
जँओ आहे स्वामीनाथ सत के बिअहुआ
आरे आंचरे सँ अगिया उठाबहु रे की
पयर सँ जे उठलै अग्नि, अंचरा पकड़लक
आरे दुनू मिलि खिरलीह अकासे रे की
जँ हम बुझितहुँ हे भौजी, एते छल-बुधिया
आरे अंचरा पकड़ि बिलमाबितहुँ रे की