दुख क्यूं व्है / जुगल परिहार
बुभण रौ इत्तौ गम नीं
जितौ के
इण तरै सूं बळ्ण रौ !
जिका के बळ्ण वाळा है
वां सगळां नै
बगत आयां
एक-न-एक दिन
बुझणौ तौ है इज
फरक बुझण में नीं हैं
फरक हैं तौ फगत बळण में
औ इज कारण है के
हीयौ हरमेस
मैसूसतौ रैवै-
औ इण तरियां क्यूं व्हियौ ?
कितौ सारथक है
एक दीयै रौ बळ्णौ !
रात भर
एक सैज गति सूं
मुधरौ-मुधरौ
बळ्तौ रैवै
छिण-छिण तेल छिजै
पण चिनौक-चिनौक
बाट ई बळै
पण तिल-तिल
सरू-सरू में
किती तेजी व्है-
उणरै बळ्ण में
किती जवान व्है-
उणरी लौ
उणरी आंच
उणरी रोसणी !
नजीक गयां
जाणै भसम व्है जावांला
पण समै रै साथै
औस्था रै मुजब
धीमै-धीमै
वा इज लौ
वा इज आंच
वा इज रोसणी
कम व्हैती जावै
अर पूगै एक अंतराल रै बाद
वौ उण दसा मांय
जिकी के
बुझण री है!
उण टैम बाट
चड़-चड़ कर’र
उणरी घोसणा करै
आ इज वजै के
बुझती वेळा एकाएक
नीं लखावै घोर अंधार !
पण बळ्णौ अचाणचक
भबकै रै साथै-
धपळ-धपळ
अर बुझ जावणो
छिण भर में
-कितौ खारो व्है!
एक धपळ्कौ
अर उणरै बाद
च्यारूंमेर
अधांरघुप्प !
निरी ताळ तांई
उण अथाग समंदर में
गोता खावती दीठ
किणी सहारै री बाट जोवती रैवै !
दुख क्यूं व्है ?
जिकौ क बरसां सूं
म्हारै हीयै रै
मांय-ई-मांय
गैरीजतौ रैयो है
म्हारी जिनगांणी में
आज लग
कित्ता ई एड़ा चानस आया
जद के म्हैं
इण सवाल रो जवाब
सिवाय मून रै
कीं नीं दे सकियो
पण आज-
जद कै म्हारी ए आंख्यां
दूर--दूर तांई गैरीजियोड़ै
उण अंधारै मांय
कीं देखणजोगी व्ही है
-म्हनै लखावै के म्हारै कनै एक जवाब है !