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दुख पुरुष / प्रेरणा सारवान
Kavita Kosh से
दुख से मेरा
आज का नहीं
युगों पुराना
जन्म जन्मांतर का
सम्बन्ध है
मेरे इस सम्बन्ध पर
कोई लांछन मत लगाओ
मेरे प्रेमी दुख का
अपमान न करो
इसका सम्बन्ध
मेरी देह से नहीं
मेरी आत्मा से है
सूर्य की भाँति तेजवान है
मेरा दुख पुरुष।
दुख का वियोग
मेरी मृत्यु भी बन सकता है।
मैं धरती के वक्षस्थल पर
रेत की तरह
बिखर जाऊँगी
मेरे वक्ष पर
दुख लिखेगा
प्रेम की अमर परिभाषा
और जीवन का इतिहास।