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दुख में भी मुस्काना आता / रंजना वर्मा

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दुख में भी मुस्काना आता
खुद को यों छल जाना आता

है अभावमय जिनका जीवन
उन पर प्यार लुटाना आता

सुख वैभव के भंडारों को
बिना झिझक ठुकराना आता

पीर घनेरी छुपा हृदय में
हँसना और हँसाना आता

तिमिराच्छन्न निशा में बढ़ कर
कोई दीप जलाना आता

शरणागत जन की रक्षा में
अपने प्राण गंवाना आता

श्याम सलोने के चरणों मे
काश हमे मर जाना आता