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दुख से नाता जोड़, रे साधो ! / रामकुमार कृषक

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दुख से नाता जोड़, रे साधो !
दुख से नाता जोड़ !

यों भी अपना सुख बेमाने
उनके सुख के ही कुछ माने
दुखिया लाख-करोड़, रे साधो !
दुखिया लाख - करोड़ !
 
सबके हाथ हाथ हों सबके
कहते हुए बुढ़ाए कब के
निज से निज की होड़, रे
साधो !
निज की निज से होड़ !

सुख की आशा घोर निराशा
जीते जी हो गए तमाशा
जुड़ा गए सब जोड़, रे साधो !
जुड़ा गए सब जोड़ !

सम्भव है अच्छे दिन आएँ
बुरे दिनों के दिन लद जाएंँ
यों ही मत रण छोड़, रे साधो !
यों ही मत रण छोड़ !