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दुनियाँ के राह देखाना हे / सिलसिला / रणजीत दुधु
Kavita Kosh से
अप्पन करतव्य निभाना हे
दुनियाँ के राह देखाना हे।
बुतरूवन तो गिल्ला मिट्टी हे
ओकरे गढ़ के पकाना हे
दुनियाँ के राह देखाना हे।
सभे समय पर रोजे आल करऽ
सभे समय पर रोजे जाल करऽ
अब आदर परतिष्ठा पाना हे
दुनियाँ के राह देखाना हे।
इहे बुतरूवन बनतइ महान
एकरे पर सभे करतइ गुमान
एकरे मिलजुल के चमकाना हे
दुनियाँ के राह देखाना हे।
जइसन चाहऽ दुनियाँ बनावऽ तों
अपने करनी के फल पावऽ तों
अब पछताना न´ मुस्काता हे
दुनियाँ के राह देखाना हे।
हमनीन राष्ट्र निरमाता ही
गुन निखारेवाला जाँता ही
हमरा अईना बन जाना हे
दुनियाँ के राह देखाना हे।
विद्या मंदिर में नेवता हे
बुतरूवन ही यहाँ देवता हे
सद्विचार के फूल चढ़ाना हे
दुनियाँ के राह देखाना हे।