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दुनियां रो स्सो सुख / सांवर दइया
Kavita Kosh से
थारी आंख्यां में चमक
होठां माथै मुळक
मांग में सिंदूर भर’र
टाबर नै गोदी में लियां
धणी कनै ऊभी तूं
म्हनै आ तो बता
दुनियां रो स्सो सुख
इत्तो ई है कांई ?