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दुनिया आनी जानी भी है / प्रेम भारद्वाज

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दुनिया आनी जानी भी है
टिकने लायक लगती भी है

अन्तरिक्ष में उड़ने वालो
एक ठिकाना धरती भी है

मानो उसकी बात न मानो
रूह कभी बतियाती भी है

पाप घड़ा जब भर जाता है
स्वर्ण की लंका जलती भी है

प्रेम पुरानी खोटी मुद्रा
कुछ लोगों में चलती भी है

नश्वर जीवन के हिस्से में
कोई प्रेम कहानी भी है