दुनिया की सब नेमत झूठी लेकिन सच्ची होती माँ / नन्दी लाल
दुनिया की सब नेमत झूठी लेकिन सच्ची होती माँ।
बेटे की दो सुन्दर आँखे होती हीरा मोती माँ।
सर दुखता तो लेकर बाम मसलने लगती है सर पे,
मैं रोता हूँ बाद में सबसे पहले अपनी रोती माँ।
लोरी गाती थपकी देती जाने क्या क्या करती है,
सारा घर जब सो जाता है मुझे सुलाकर सोती माँ।
कदाचार से दूर सदा शिक्षा देती आदर्शों की,
बीज हृदय में बेटे के है संस्कार के बोती माँ।
सत्य मार्ग से भटक गया जब जब बेटा तब तब उसको,
अंधकार में राह दिखाती है बनकर के ज्योती माँ।
सारे घर का सुख दुख सहती सबको लेकर के चलती,
कितना भी संकट गहरा हो धीरज कभी न खोती माँ।
बेटा कुछ भी कह दे, कर दे, माँ आखिर माँ होती है,
छिपकर सारे पाप हमारे है आँसू से धोती माँ।
बेटे पर बलि बलि जाती है सब कुछ न्योछावर उसका,
माफ सभी कुछ कर देती है वह केवल इकलौती माँ।
लाखों संकट आते लेकिन माँ की दुआ बचा लेती,
धन्य धन्य वह लोग जहाँ में जिनकी जीवित होती माँ।