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दुनिया की हर ख़ुशी मुझको मिली है / मोहम्मद इरशाद
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दुनिया की हर ख़ुशी मुझको मिली है
मैं हूँ और ये मेरी ज़िन्दगी है
सब लोग ख़ुद में उलझे हुए हैं
ज़माने में किसको किसकी पड़ी है
सच को वो झूठा कहते हैं यारों
उनकी सूरत कितनी भली है
जाएँ जिधर हैं उधर वो ही मंज़र
कहने को ही ये दुनिया बड़ी है
सब लोग हिन्दू-मुस्लमाँ हुए है
मेरे पास आए जो सिर्फ आदमी है
‘इरशाद’ जाने कहाँ आ गये हैं हम
आँखों को चुभती हुई रोशनी है