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दुनिया के हम्में मालिक छेकां/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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दुनिया के हम्में मालिक छेकां, हमरे नाम किसान हो,
हमरै उपजैला पर देखोॅ, ऐठैं केना जहान हो।
दुनिया के हम्में मालिक छेकां, हमरे नाम किसान हो ।

हम्मीं उपजैलेॅ छी गेहूँ, हमरै मिलै नै रोटी हो,
के छेकै जें उपरे-उपर लै छै सब टा सोटी हो ।
हमरै निमुंहा पर बनै छै रोजे नया विधान हो
दुनिया के हम्में मालिक छेकां, हमरे नाम किसान हो ।

तिनका-तिनका दाना-दाना, हम्में भरै छी कोठी हो,
महगाई डायन आबी केॅ, लै छै सभ्भे समेटी हो ।
हम्में धरती ऊ पनशोखा, हमरे एक नीनान हो
दुनिया के हम्में मालिक छेकां, हमरे नाम किसान हो ।

छरछर घाम पसीना चुवेॅ, उपजैतें कुरथी-मेथी हो,
साहू के करजा में बिकलै, हमरोॅ सब टा खेती हो,
शहर डुबलोॅ हँसी-खुशी में, हमरोॅ मुख अमलान हो
दुनिया के हम्में मालिक छेकां, हमरे नाम किसान हो ।

छुच्छोॅ भाषण रोज सुनै छी, कहिया मिलतै तरान हो,
ठोरोॅ पर टंगलोॅ छै देखोॅ, हमरोॅ विमल परान हो ।
सभ्भे सब के मुँह देखै छै, के करतै नव निर्माण हो,
दुनिया के हम्में मालिक छेकां, हमरे नाम किसान हो ।