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दुनिया को नई राह दिखने के वास्ते / अशोक अंजुम

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दुनिया को नई राह दिखने के वास्ते
शूली पे छाडे कोन ज़माने के वास्ते

शहरों कि भीड़ में न कहीं खो गए हों वे
जो गाँव से गए थे कमाने के वास्ते

दिखा न कोई जाल परिंदे को भूख में
उसने लुटा ही दी जान दाने के वास्ते

ऐ लोकतंत्र ! तेरे चमत्कार को नमन
जनता ही मिले तुझको निशाने के वास्ते

दामन जिन्होंने फूँक लिए कोन लोग थे
जीवन में रौशनी से निभाने के वास्ते