भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुनिया गोलम गोल / मीरा हिंगोराणी
Kavita Kosh से
गोलम गोल बाबा जो चश्मो,
पेटु नानीअ जो गोलम-गोल।
पाती पापा ख़मीस जेका,
बटण उनजा गोलम् गोल।
रंधणे में, अम्मां जे तए ते,
नचे रोटी गोलम-गोल।
केवी वेलणु गोल रिकेबी,
लडूं/ गोल जिलेबी गोल।
अचो त ॿारो धूम मचायूं,
चौपाल ते वॻो ढ़ोल।
ॻाए गीत पायूं फेरियूं,
आहे दुनियां गोलम गोल!