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दुनिया रो दायरो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
होळै-होळै होग्यो
थारी-म्हारी
दुनिया रो दायरो दो बिलान
धरती म्हारो घर री ठौड़
है आज कमरो म्हारो घर
घर में बक्सो है
बक्सै में है चितराम
रूड़ा-रूपाळा
नागा-उघाड़ा
मिजळी सदी रो वरदान !