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दुर्गा माय के नाम सुमरि के / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'
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उपरे ऊपर भोला-भाला
भितरें लागै जाली
छल-प्रपंच के खोलै पुड़िया
पाकें हरदम खाली।
बाहर करै लाहौर समझौता
भितरें विष के प्याली
द्रास-बटालिक-कारगिल के
तोड़ै देखोॅ डाली।
जन्नेॅ-तन्नेॅ सूंग धसावै
थोथनऽ झलकै लाली
कूड़ा-कर्कट, पिल्लू सनमन
देहें झलकै खाली।
सपना में कश्मीर तरासै
हाथें रखै बटाली
उछलै-कूदै बम बरसावै
तोड़ै सगरो डाली।
भारत के आगू में कहिया
कोइये टिकलै जाली
मार खाय केॅ गर्दनियाँ
कारगिल करकै खाली।
कत्तेॅ दिन भाड़ा के टट्टू
घर्हैं रखतै पाली
दुर्गा माय के नाम सुमरि के
पाको करबै खाली।