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दुर्गा वंदना / कालीकान्त झा ‘बूच’

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सर्वेश्वगरि‍ दुर्गे, सुवुद्ध दहक सभकेँ तोँ
हरहक सबहक अज्ञान,
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।
पहि‍ने तोँ मेँटि‍ दहक, मोनक वि‍भेद बुद्धि‍
भऽ जाएत तदुपरान्ते सहजेमे आत्म -शुद्धि‍
कपट-दंभ-अहंकार-स्वा‍र्थ-दैत्योकेँ सँहारि‍-
करहक जगक उत्थान..
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।
शि‍वक तेज आनन, चतुराननसँ चरण भेल
वि‍ष्णु बाँहि‍, सोमस्तन, इन्द्र तेज डांड़ देल
यम-सुकेश, वरूण जाँघ, पृथ्वी नि‍तम्ब भेलि‍
वसुगणा अंगुलि‍ नि‍र्माण
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।
नासि‍का धनाधि‍पसँ, प्रजापति‍क दंत स्वेत
अग्नि‍सँ त्रि‍नेत्र, साँझ भौँह वक्रता समेत
वायुदेव कान देल-एहि‍ तरहेँ प्रगट भेल-
नारि‍ एक सूरूज समान,
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।
हरखि‍त भऽ शंकर नि‍ज शूलसँ त्रि‍शूल देल
वि‍ष्णु क सुदर्शनसँ चक्र एक जनमि‍ गेल
धर्मराज दंड, वरूण पाश, प्रजापति‍ देलनि‍-
स्फमटि‍क माला महान,
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।
सलि‍लदेव शंख, काल ढाल-करताल देल
ब्रह्मा कमंडलु, हुत्ताशनसँ शक्ति्‍ लेल
वायु धनुषवाण, सूर्यतेज, इन्द्र कऽ देलनि‍-
घंटा आ बज्रक प्रदान।
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।
क्षीरोदधि‍दि‍व्यष्ट्र , चूड़ामणि‍, श्वेतहार
कुंडल-केयूर आर नूपुर सङ सभ ि‍सङार
वि‍शकर्मा फरसा, अनेक अश्त्र शस्त्रल एक-
कमल-माल देल अमलांन
माइ हे, तोरे मे सभ भगवान।
नागराज मणि‍ मंडि‍त उरगहार दि‍व्यत देल
धनपति‍सँ पूर्ण मधुक मानपात्र प्राप्तग भेल
हि‍मवानक देल सि‍ंह वाहनपर शोभि‍त तोँ-
तोरा सनि‍ कत्तऽ के आन?
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।
कऽ रहली, व्योमवीच रहि‍ रहि‍ कऽ अट्टहास
गर्जनाक गुंजनसँ फाटि‍ रहल छै, अकाश
डोलल पहाड़, काँपि‍ उठलै, समुँद्र सकल-
उठि‍ गेलैक भारी तूफान।
माइ हे, तोरे सभ भगवान।
डेगेमे धरती, आ पाँजेमे छह त्रि‍लोक
सि‍ंहवाहि‍नी भवानि‍, हरहक संतति‍क शोक
जय हे मां दुर्गे तोँ सर्वलोक शक्तिक‍पूंज,
करहक सबहक समाधान
माइ हे, तोरेमे सभ भगवान।