भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुर्दिन में अब हरखू कैसे / राजकुमारी रश्मि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुर्दिन में अब हरखू कैसे,
घर का पेट भरे.

   (१)
ऐसा सूखा पड़ा, धान की फसल
हुई बरबाद.
उपर वाले ने भी अब की, नहीं सुनी
फ़रियाद.
भूखे प्यासे रह कर घर के
दोनों बैल मरे.

     (२)
गश्त लगाती पूरे घर में
अब भूखी छिपकलियाँ.
राह देखती हैं बच्चों की
सूनी-सूनी गलियाँ.
घुन भी लगने लगा, बीज में
घर में धरे-धरे.

     (३)
जितनी रकम उठाई
उसका दूना ब्याज दिया.
दूध पिलाया बच्ची को
खुद पानी नहीं पिया.
साहूकार रोज धमकाये
मांगे नोट खरे.