भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुर्योधन: सुयोधन उवाच / नईम
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
दुर्योधन: सुयोधन उवाच-
सिरहाने मेरे जो टँगे हुए,
जंग-मोर्चा खाए इंद्रधनुष!
दाएँ बाएँ बाजू
पंक्तिबद्ध अनुशासन,
बंदगी बजाते ये-
शकुनि और दुःशासन।
सुविधाएँ, समझौते, दुरभि संधि-
काँख में दबाए इतिहासपुरुष!
रत्नजड़ित शिरस्त्राण
छाती पर कवच बँधे,
पछतावे के पहाड़
ढालों पर नहीं सधे!
कुरुखेते फैला बंजर पठार-
चुभते हैं अपने ही बोए कुश!
अंध दृष्टि से पनपे
नायक में खलनायक,
रनखेते हारे हम
बदल गए निर्णायक!
छलता जो रहा आज छला गया,
बिखर गया पारे जैसा पौरुष!