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दुर्योधन द्वारा पाण्डव सेना वरनन / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान
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परम पवित्र गुरु देखु बर सेनमा हो।
पाण्डव के सजि धोज ऐलो हो सांवलिया॥
उ, हेन्त सुघर तेज धीरीष्ट-दुमन जोधवा हो।
द्रुपद के बेटा के कि शान हो सांवलिया॥
वोकरो बनैलो रामा पेचदार घेरवा हो।ं
पहाड़ उड़ैन जेना आवौ हो सांवलिया॥
विप्रदेव ताकु कत ढ़ीठ तोर चेलवा हो।
एतबर सेनमा जुटाबैय हो सांवलिया॥
इनकर सेना में बरे बरे योधवा हो।
भीम अरजुन जकतें लागैय हो सांवलिया॥
सातकि, विराट आरु महारथी दुरपद हो।
तीरवा कमान लिये ठाढ़ हो सांवलिया॥
धृष्टकेतु चेकितान, बली काशी राजवा हो।
पुरुजित, कौंती भोज नाम हो सांवलिया॥
खूचे शीरीष्ट शेब्य लोगवा के लागेय रामा।
वो हो देखु पाण्डव के साथ हो सांवलिया॥