दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ / मगही
दुलरइता बाबू के बगिया में सीतल हे छँहियाँ॥1॥
खेलते धूपते गेली बेटी दुलरइती बेटी।
ए लपकि<ref>लपककर</ref> धयल<ref>पकड़ा</ref> छयला, दाहिन हे बँहियाँ॥2॥
छोडू़ छैला, छोडू़ छैला, दाहिन हे बँहियाँ।
अहे टूटि जयतो संखा चूड़ी, मुरकि<ref>मोच आ जायगी</ref> जयतो हे बँहियाँ॥3॥
टूटे देहु, टूटे देहु, संखा चूड़ी मेरौनियाँ<ref>और सभी चूड़ियों से मिलाकर पहनाई हुई चूड़ियाँ। मिला. मेराना = मिलाना, अथवा पाठ भेद-मोर रनियाँ = मेरी रानी। संबोधन</ref>।
अहे फेरू<ref>फिरसे</ref> से गढ़ाय देबो<ref>गढ़वा दूँगा</ref> सोने केर हे कँगना॥4॥
सभवा बइठल तुहूँ, ससुर दुलरइता बाबू।
तोइर पूता दुलरइता बाबू, तोड़ल हे कँगना॥5॥
होय दऽ<ref>होने दो</ref> बिहान<ref>सवेरा</ref> पुतहू, पसरत<ref>लग जायगा, फैल जायगा</ref> हे हटिया।
अहे फेरू से गढ़ाय देबो, सोने केर हे कँगना॥6॥