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दुलहा के गोरे गोरे हाथो रचन लागे मेहदी / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

इस गीत में वर-वधू को सजाने तथा मेंहदी लगाने का उल्लेख हुआ है। ‘सहाना’ के गीत मुस्लिम परिवारों में गाये जाने वाले गीत से मिलते-जुलते हैं। इन गीतों में हिन्दी के शब्दों की अधिकता रहती है।

दुलहा के गोरे गोरे हाथो रचन लागे मेंहदी।
सीटो<ref>अच्छी तरह तह करना या चिकना करना; सोटना</ref> बनी हे सहाने कलँगी।
कलँगो उपर रचन लागे हे मेंहदी॥1॥
कानो बनी हे मेहरिया सोना।
ए सोना उपर रचन लागे मेंहदी॥2॥
सीनो<ref>सीने के ऊपर</ref> उपर बनी हे मखमल केरो जोरा।
कालर उपर रचन लागे मेंहदी॥3॥
पाँव बनी हे मखमल के मोजा।
मोजा उपर रचन लागे मेंहदी॥4॥
गोदी बी हे सहानो लाड़ो।
घूँघट उपर रचन लागे मेंहदी॥5॥

शब्दार्थ
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