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दुलि दुहि पिटा धरण न जाउ / सरहपा

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दुलि दुहि पिटा धरण न जाउ
रूखेर तेन्तलि कुम्भीरे खाउ
आँगन घरपण सुन भी बिआती
कानेट चोरी निल अधराती
अपना मासें हरिणा वैरी
खणाहँ न छाँड़इ भुसुक अहेरी