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दुश्मनी से क्या मिलेगा दोस्ती कर ले / कैलाश झा ‘किंकर’
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दुश्मनी से क्या मिलेगा दोस्ती कर ले।
ज़िन्दगी ख़ुद खुशनुमा तू ज़िन्दगी कर ले॥
छा गयी चारों तरफ़ जब तीरगी इतनी
दिल का दीया ख़ुद बना तू रोशनी कर ले।
बैठना मन मारकर शोभा नहीं देता
खु़द पर तू करके भरोसा जग सुखी कर ले।
जो यकीं करता है तुझपर खु़द से भी बढ़कर
उसकी दुनिया को ही पहले तू ख़ुशी कर ले।
जिस जहाँ में आदमी से आदमी डरता
उस जहाँ से तू पलायन आज ही कर ले।
क्या रखा है धन-कुबेरों के यहाँ 'किंकर'
मुफलिसों के दिल में बस दिल-बस्तगी कर ले।