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दुश्मन एलै ड्योढ़िया उपरमे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुश्मन एलै ड्योढ़िया उपरमे
बान्हि के हाजत घरमे दऽ दे
जल्दी बान्ह दुश्मनमा के बान्हि दे
जादू मारि मोती के मारै छै
आँखिक आन्हर मोती के भऽ गेल
उनटा बान्ह मोती के बान्हलकै
हाजत घरमे मोती के देलकै
हाजत घरमे दुलरा कनै छै
तब सुमिरन दुर्गा के करै छै
सुन गे मैया दुर्गा देवी
कथी ले हकन मैया हमरा कनाबै छै
तेकर खबरिया हमरा कहि दे
जइ दिन जेबै राज महिसौथा
अपना हाथ से पूजा देबौ
बान्हबा खोला कऽ हमरा लऽ चलियौ गै।
एतबे वचनियाँ मोतीराम कहै छै
दुर्गा मैया के दा उबजि गेल
जेल के घरमे दुर्गा जुमि गल
सुन रौ बौआ तोरा कहै छी
पूजा मँगैले फलका पर गेलीयै
हाथ से कोड़ा हमरा मारले
तकर समानवा जेलमे भोगै छै रौ।
एत्तेक बात मैया दुर्गा कहै छै
कर जोड़ि मोती जे कहैय
चल चल मैया महिसौथामे
सोना मंदिरबा तोरा बनेबौ
अपन हाथ से पूजा करबौ
हमर बान्हबा मैया खोला दियौ गै
मैया दुर्गा के दया उबजि गेल
भागल गेलै राज महिसौथा
ड्योढ़िया उपरमे मैया जुमलै
साँमैरवती के नजरि पड़ि गेल
अपने साँमैर कुरसी छोड़लक
मैया दुर्गा के आसनी के दै छै
सब खबरिया मैया बता देलकै गै।।
जेकरे धऽ कऽ महिसौथा रहले
कुसमा हरण ड्योढ़ि से भऽ गेल
मोतीराम के बान्ह बेटी लगलै
जादुपुरमे हकन कनै छै
साथ लगा बनसप्ति के लियौ
बड़ जादूगीरनी बनसप्ति लगै छै
जादू के मारि जादूपुरमे लड़तै
बनसप्ति महिसौथा बजौलकै
दुनु ननद-भौजइया मिलिकऽ
जादुपुरमे गयलै हौ
बात-बातमे झगड़ा बझलै
मन बढ़ल राजा के छेलै
जादू लड़ाइ जादूपुरमे भेलै
अग्निबाण वनसप्ति लड़ै छै
जादुगर राजा मूर्च्छित भऽ गेलै
सुन गे रानीयाँ दिल के वार्त्ता
अपना कहब से गै रानीया हरली
दुर्गा मैया सत करौलकै
दुर्गा बात पर रानी हरलीयै
हमरा गलती माफी रानीयाँ कऽ दियौ गै।