भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुष्टता / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
अपने स्वार्थ की खातिर
दुष्ट
आपको ऐसी कंटीली झाड़ में
फंसा देगा
कि आप निकलोगे और फंसोगे
और
कोसोगे उसको
जो आपका कभी सगा नहीं था
और तुम अब तक उसे
पिलाते रहे दूध!