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दुष्ट पड़ोसी बसा पास तो मुश्किल बहुत निभाना / रंजना वर्मा

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दुष्ट पड़ोसी बसा पास तो मुश्किल बहुत निभाना।
किंतु व्यवस्था में अपनों पर पड़ता हाथ उठाना॥

कौरव और पांडवों में थे सगे खून के रिश्ते
आड़े हो सम्मान अगर तो फिर कैसा घबराना॥

एक हाथ से प्यारे मित्रो कभी न बजती ताली
इसके लिये पड़ेगा साथी दोनों हाथ उठाना॥

बाहों में छिप पलने वाले नागों को पहचानो
यदि न समय पर इन को मारा हो पीछे पछताना॥

शत्रु नहीं सुख पाये तुमसे मित्र न दुख का भागी
बड़े यत्न से साथी दोनों में संतुलन बनाना॥

जो अच्छे हैं उनके प्रति नित सदाचरण ही उत्तम
किंतु न यदि वे मान रखें तो उनको सबक सिखाना॥

नयन मूँद कर कभी भरोसा करना नहीं किसी पर
राष्ट्रध्वजा जो करे कलंकित उनका नाम मिटाना॥