भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दूगो सखी के बेआन / मोती बी.ए.
Kavita Kosh से
बेआन पहिला सखी के - मोर पिया आदमखोर
सुनु सजनी
ठाढ़े अदिमी चबाय
बेआन दुसरा सखी के - मोर पिया जाँगर चोर
सुनु सजनी
देखते अदिमी लुकाय
पहिलकी - जिनिगी भइल सखी
साँपे के बीअरि
गोंहुवन जेइ में समाय
फट कढ़ले गोंहुवन फुफुकारे
जब जब बहेला बतास
दूसरीकी - जिनिगी हमार सखी
जस मुसकइलि
मूस राम रहे छितराय
खाली रे बिअरिया के
फूटल करमवा जे
एगो साँप आवे एगो जाय।
03.09.94