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दूध से भारी पीड़ा से भरी / प्रेमरंजन अनिमेष
Kavita Kosh से
'माँऽऽऽऽ... !'
चिल्लाता
मैं धाता भीतर
'बाँऽऽऽ...'
आती उसकी आवाज़
दूध से भरी पीड़ा से भरी...