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दूबळी नै मण भारो जिंयां / सांवर दइया
Kavita Kosh से
दूबळी नै मण भारो जिंयां
कटै औ मिनख जमारो किंयां
हाथां सूं छिटक्यो सगळो सुख
खिंडग्यो हुवै पारो जिंयां
तकलीफां तो बणगी बेली
छीयां झालै लारो किंयां
भोर री बात आथण कूड़ी
करै कोई पतियारो किंयां
आंसू में भर्यो है समंद
थे पूछो भळै खारो किंयां