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दूरियाँ / इला प्रसाद
Kavita Kosh से
सब कुछ बड़ा है यहाँ
आकार में
इस देश की तरह
असुरक्षा, अकेलापन और डर भी
तब भी लौटना नहीं होता
अपने देश में।
वापसी पर
अपनों की ही
अस्वीकृति का डर
कचोटता है।
वहाँ भी
सम्बन्ध तभी तक हैं
जब तक दूरियाँ हैं!