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दूरी ऐं चिराग / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’
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फु़र्कत जी रात
तह सियारे जी उमास
ॿारियां बि खणी बत्ती न उनजो को सूद!
दूरीअ खे हटाए त न सघंदो को चिराग़?