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दूर जाकर देखिए या पास आकर देखिए / कांतिमोहन 'सोज़'
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दूर जाकर देखिए या पास आकर देखिए ।
शर्त इतनी है हमें अपना बनाकर देखिए ।।
आपको चुनना हो गर अपना शरीके-ज़िन्दगी
कैसी सूरत कैसी सीरत पहले लॉकर देखिए ।
आप जिसकी फ़िक्र में दिन-रात यूँ हैरान हैं
चैन की बंसी बजाता है वो अक्सर देखिए ।
लद गए वो दिन कि सारे भेड़िए जंगल में थे
देखना हो अब तो बाज़ारों में आकर देखिए ।
अम्न और क़ानून का मिल जाएगा पुख़्ता सबूत
गोल चौराहे पे एक नारा लगाकर देखिए ।
सर की क्या पर्वा उसे जाना है आख़िर एक दिन
सर झुकाने से तो बेहतर है कटाकर देखिए ।
पेश जो आए मोहब्बत से उसी को लूट लो
सोज़ ये नुस्ख़ा फ़क़ीरी आज़माकर देखिए ।।