दूर दराज का गाम भावरा / रणवीर सिंह दहिया
अठारह सौ सतावण की आजादी की पहली जंग में लाखों लोगों ने कुर्बानियां दीं। उसके बाद अंग्रेजों का दमन का दौर और तेज हो जाता है। देश में पनपी हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने के कुप्रयास किये जाते हैं। किसानों पर उत्पीड़न बेइन्तहा किया जाता है। ऐसे समय में भावरा गांव में चन्द्रशेखर आजाद का जन्म होता है। क्या बताया भला:
तर्ज: चौकलिया
दूर दराज का गाम भावरा, पैदा चन्द्रशेखर आजाद हुया॥
दुपले पतले बालक तै घर, तेईस जुलाई नै आबाद हुया॥
मुगलां के पिट्ठू यूरोप के, सारे कै व्यौपारी छाये फेर दखे
ईस्ट इन्डिया कम्पनी नै चारों, कान्हीं पैर फैलाये फेर दखे
अंग्रेजां नै भारत उपर शाम, दाम, दण्ड भेद चलाये फेर दखे
देश के नवाबां नै फिरंगी साहमी, गोड्डे टिकाये फेर दखे
किसानां नै करया मुकाबला उनका तै न्यारा अन्दाज हुया॥
ठारा सौ सत्तावण मैं आजादी की पहली जंग आई फेर
आजादी के मतवाले वीरां नै कुर्बानी मैं नहीं लाई देर
फिरंगी शासक हुया चौकन्ना गद्दारां की थी कटाई मेर
हटकै म्हारे भारत देश पै घणी कसूती छाई अन्धेर
भारत की जनता नहीं मानी चाहे सब कुछ बरबाद हुया॥
भुखमरी आवै थी तो भूख तै कदे लोग मरे नहीं थे
अंग्रेजां के राज मैं अकाल खेत बचे हरे भरे नहीं थे
टैक्स वसूल्या गाम उजाड़े लोग फेर बी डरे नहीं थे
कुछ हुये गुलाम कई नै जमीर गिरवी धरे नहीं थे
विद्रोह की राही पकड़ी कुछ नै क्रान्ति का आगाज हुया॥
युगान्तर अनुशीलन संगठन उभर कै आये बंगाल मैं
कांग्रेस मैं गान्धी का स्वदेशी सहज सहज आया उफान मैं
चोरा चोरी मैं गोली चाली चौकी जलाई इसे घमसान मैं
गान्धी नै वापिस लिया निराशा छाई थी नौजवान मैं
रणबीर चन्द्रशेखर इसे बख्त क्रान्ति की बुनियाद हुया॥