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दूर से एक दृश्य / शकीला अज़ीज़ादा / श्रीविलास सिंह

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मैं फिर छूट गई हूँ
अब कोई नहीं है खड़ा है मेरे पीछे
खींच ली गई है मेरे पाँवों के नीचे से ज़मीन
सूरज के कन्धे तक हैं मेरी पहुँच से दूर ।

आबद्ध है मेरी गर्भनाल
रिवाज़ों की एप्रन की डोरियों से
मेरे केश कटे पहली बार फ़रमानों की घाटी में
मेरे कानों में फुसफुसाई गई एक प्रार्थना
‘सदैव रहे रिक्त धरती
तुम्हारे पीछे और नीचे की’।

यद्यपि, बस, ज़रा ही ऊपर
हमेशा रहेगी एक भूमि
किसी भी भूमि से पवित्र भूमि
शैतान की नज़र न लगे मुझे ।

अपने कन्धों पर सूर्य का हाथ लिए
मैं उठाऊँ अपने पाँव, एक हज़ार एक बार
दूर उन चीज़ों से, जो मैं छोड़ देती हूँ पीछे ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह