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दूर से कालाहांडी के बारे में / नरेश चंद्रकर
Kavita Kosh से
भूख हमारे लिए
आग नहीं बन सकी
अगर बन जाती तो...?
हम उसके लिए अलंकार नहीं खोजते
वह कोई समझाने की चीज़ नहीं होती
बस लड़ना पड़ता हक़ीक़त में
इसे भड़कानेवालों के विरुद्ध
इससे पार पाने के लिए
गोलबन्द होकर!!