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दूसरों पर ख़ुद को भारी करके देख / सर्वत एम जमाल

दूसरों पर ख़ुद को भारी करके देख
एक फतवा तू भी जारी करके देख

कैसे आवाज़ें दबाई जाती हैं
हक की ख़ातिर मारामारी करके देख

अब गए वक़्तों के किस्से मत सुना
आजकल ईमानदारी करके देख

एकता से प्यार नामुमकिन है अब
आपकी, उनकी, हमारी करके देख

ख़ौफ़ तू भी जान जाएगा, ज़रा
शेर के ऊपर सवारी करके देख

यह शराफ़त कुछ नहीं दे पाएगी
एक दिन लहजा दुधारी करके देख