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दृश्य ही अदृश्य हो जाएगा / भारत यायावर
Kavita Kosh से
एक दृश्य है जो अदृश्य हो गया है
उसका बिम्ब मन में उतर गया है
मैं चुप हूँ
चुपचाप चला जाऊँगा
कहाँ
किस ओर
किस जगह
अदृश्य !
किसी के मन में यह बात प्रकट होगी
कि एक दृश्य था
अदृश्य हो चला गया है !
अब उसके शब्द जो हवा में सनसनाते थे
किसी के साथ कुछ दूर घूम आते थे
उसके विचार कहीं मानो किसी गुफ़ा से निकलते थे
पहले गुर्राते थे
फिर गले लगाते थे
फिर कुछ चौंक - चौंक जाते थे
फिर बहुत चौंकाते थे
अब उसकी कहीँ छाया तक नहीं है
अब कोई पहचान भी नहीं है
दृश्य में अदृश्य हो जाएगा
कहीं नज़र नहीं आएगा !