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देखते ही देखते तमाम बोलने लगे / महेश कटारे सुगम
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देखते ही देखते तमाम बोलने लगे ।
वन्दे मातरम नमक हराम बोलने लगे ।
कल तलक रहीम को जो दे रहे थे गालियाँ,
आ गया चुनाव तो सलाम बोलने लगे ।
मज़हबों या नफ़रतों की हैं कहाँ ज़रूरतें,
प्यार के लिए किया जो काम बोलने लगे ।
लग रहा है आपके लिए ये नागवार क्यूँ,
अपने हक़ की बात लोग आम बोलने लगे ।
जो हमारी जंग है लड़ेंगे हम सभी इसे,
इत्मीनान जीत के तमाम बोलने लगे ।