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देखत रह गए ताल-तलैया भैंस पसर गई दगरे में / नवीन सी. चतुर्वेदी

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देखत रह गए ताल-तलैया भैंस पसर गई दगरे में।
गरमी झेल न पाई भैया भैंस पसर गई दगरे में॥

बीस बखत बोल्यौ हो तो सूँ दानौ पानी कम न परै।
अब का कर्तु ए हैया-हैया भैंस पसर गई दगरे में॥

ऐसी-बैसी चीज समझ मत जे तौ है सरकार की सास।
जैसें ई देखे नकद रुपैया भैंस पसर गई दगरे में॥

कारी मौटी धमधूसर सी नार थिरकबे कूँ निकरी।
नाचत-नाचत ता-ता थैया भैंस पसर गई दगरे में॥

खान-पान के असर कूँ देखौ जैसें ई कीचम-कीच भई।
पड़-पड़ भज गई गैया-मैया, भैंस पसर गई दगरे में॥