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देखने वालों के दो हिस्से हो जाते हैं / आशुतोष दुबे
Kavita Kosh से
यह नदी दोनों तरफ़ बह रही है
तुम जिस तरफ़ देखते रहोगे
बह जाओगे उसी तरफ़
देखते रहना ही बह जाना है
अक्सर देखने वालों के दो हिस्से हो जाते हैं
एक साथ अलग-अलग दिशाओं में बहते हुए
उनका आधा हमेशा अपने दूसरे आधे की तलाश में होता है
दो अधूरेपन विपरीत दिशाओं में बहते हुए
एक-दूसरे को खोजते रहते हैं
समुद्र इस नदी का इन्तज़ार करता रह जाता है